Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -16-Jan-2023 कबड्डी का टूर्नामेंट

छत्रपाल जिस गांव में रहता था, उस गांव के लोग छत्रपाल का बहुत मान सम्मान करते थे। गांव में किसी भी परिवार पर दुख मुसीबत आती थी तो छत्रपाल तब तक चैन की सांस नहीं लेता था जब तक उस परिवार की सारी समस्याएं हल ना कर दे।


 छत्रपाल ऐसा कोई भी काम जाने अनजाने में भी नहीं करता था जिससे कि गांव का कोई भी व्यक्ति उसके स्वाभिमान पर उंगली उठाएं।

एक दिन गांव का प्रधान गांव वालों और छत्रपाल को बुलाकर उनसे कहता है कि "मैं अगले सप्ताह गांव में कबड्डी का टूर्नामेंट करवाउंगा और  गांव वालों छत्रपाल को बताता है कि दस गांव की टीम टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगी। गांव का प्रधान दस टीमों के खिलाड़ियों और उनके कोच की देखभाल की जिम्मेदारी छत्रपाल को देता है।

छत्रपाल गांव के बाहर गांव के लोगों के साथ मिलकर एक खुले स्थान पर कबड्डी खेलने का मैदान तैयार करवा देता है। और कबड्डी मैदान के पास ही उनके रहने खाने-पीने सोने के लिए एक टेंट लगवा देता है। 

छत्रपाल ने खिलाड़ियों और कोचों के लिए खाने पीने का सामान बनवाने के लिए हलवाई बिठा रखे थे। छत्रपाल अपनी तरफ से उनकी देखभाल में कोई भी कमी रहने नहीं देना चाहता था।

छत्रपाल अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद, गांव के प्रधान के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर शाम तक कबड्डी के मैच का आनंद लेता था। छत्रपाल कबड्डी के मैच खत्म होने के बाद रात को गांव वालों के साथ मिलकर खिलाड़ियों और कोच को बड़े मान सम्मान के साथ भोजन करवाता था। और सब को खाना खिलाने के बाद आराम करने की कहकर अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट करके घर आ जाता था पत्नी और बच्चों के पास।

फिर छत्रपाल दोबारा आधी रात को  सर्दी और कोहरे में मोटरसाइकिल पर खिलाड़ियों को देखने जाता था वहां इसलिए देखने जाता था कि खिलाड़ियों के खाने और विश्राम करने वाला टेंट गांव के जंगल के पास था। वहां जंगली जानवरों का खतरा अधिक था।

 एक दिन छत्रपाल आधी रात को ठंड और कोहरे में खिलाड़ियों को देखने जा रहा था, उसी समय एक ताकतवर सांड जंगल से निकलकर तेजी से भागकर छत्रपाल की छाती में टक्कर मारकर जंगल में वापस भाग जाता है। सांड की टक्कर लगने से छत्रपाल बेहोश होकर जमीन पर गिर जाता है। छत्रपाल को बहुत देर बाद होश आता है। 

घर जाकर छत्रपाल अपनी पत्नी को सारी बात बताता है। छत्रपाल की खराब हालत देखकर उसकी पत्नी कहती है "अगर तुम अपनी जान बचाना चाहते हो तो अस्पताल में भर्ती हो जाओ।"छत्रपाल पत्नी से कहता है "अगर मैं अस्पताल में भर्ती हो गया तो जो गांव के प्रधान ने मुझे खिलाड़ियों की देखभाल की जिम्मेदारी दी है मैं वह कैसे निभा पाउंगा।"

इसलिए छत्रपाल अस्पताल में भर्ती नहीं होता और टूर्नामेंट की जिम्मेदारी का काम ईमानदारी से निभाता रहता है। जिस दिन टूर्नामेंट समाप्त होता है और विजेता टीम को पुरस्कार मिलने के बाद सब खिलाड़ी और दर्शक अपने अपने घर गांव चले जाते हैं। तो उसी दिन छत्रपाल कबड्डी के मैदान में दर्द से तड़प कर अपना दम तोड़ देता है। छत्रपाल अपने स्वाभिमान और सम्मान की  स्वयं रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग देता है।






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8 Comments

Gunjan Kamal

20-Jan-2023 04:57 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Babita patel

18-Jan-2023 03:20 PM

osm story

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Mahendra Bhatt

17-Jan-2023 10:17 AM

मार्मिक कहानी

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